Disclaimer – This article strongly discourage of use of any endangered species and tries to help prevent spread of misleading information.
सांडे का तेल, सांडा तेल या सांडहा तेल।
जी हाँ, ये कुछ ऐसा नाम है, जिसको लेकर मर्दों में काफी कंफ्यूजन रहता है।
और कन्फ्यूजन हो भी क्यों ना? इसका एक बहुत ही वैलिड reason है, और वह यह है, कि जब भी आप, सांडे का तेल गूगल पर सर्च करते हैं। ऐमेज़ॉन पर तलाशते हैं, या किसी दूसरी शॉपिंग वेबसाइट पर सर्च करते हैं, तो वहां पर आपको कुछ आयुर्वेदिक प्रोडक्ट दिखाई देते हैं। जो सांडे के तेल के नाम पर, खरीदने के लिए उपलब्ध होते हैं।
लेकिन आपके मन में कुछ और ही होता है। आप सोचते हैं, कि यह एक जानवर से निकाला गया तेल होता है, जिसको लिंग पर मालिश करने से लिंग में तनाव बढ़ता है, और मर्दाना ताकत में सुधार होता है।
लेकिन जब साँदा ऑइल के नाम से बिकने वाले विभिन्न आयुर्वेदिक उत्पादों के घटक द्रव्य को देखते हैं, तो उनमें किसी जानवर का तेल नहीं होता है, बल्कि उनके घटक द्रव्यों में कुछ जड़ी बूटियों का उल्लेख किया गया होता है।
भारत में कई सारी कंपनियां सांडे का तेल बना रही है, जिनमे से अधिकतर की विश्वसनीयता का कोई पैमाना नहीं है। ठीक से यह भी नहीं पता चल पाता है, कि कौन सी कंपनी का सांडा तेल ओरिजिनल है, और कौन सी कंपनी का नकली। लेकिन सांडे का तेल का एक जनरल फार्मूला मैं आपको बता देती हूं।
साँदा ऑइल के घटक द्रव्य
अधिकतर इसमें अश्वगंधा। शतावरी। कलौंजी। लॉन्ग! और एक पौधे से मिलने वाले रसायन का इस्तेमाल किया जाता है।
- अश्वगंधा
- कलोंजी
- लौंग
- शतावरी
- datura
- Konch beej
- Til (sesame oil)
अलग-अलग की दवा निर्माता कंपनियां सांडे के तेल के फार्मूले को अपने हिसाब से मॉडिफाई कर लेती हैं।
तो अगर बात आयुर्वेदिक सांडा ऑयल की की जाए। इसमें मुख्य रूप से अश्वगंधा होती है, शतावरी होती है, लॉन्ग का तेल होता है। कलौंजी का तेल होता है। कुछ कंपनियां इसमें दालचीनी के तेल का इस्तेमाल भी कर लेती हैं।
दोस्तों इस तरह आयुर्वेदिक विधि से बनाया गया सांडे का तेल, लिंग पर मालिश करने से, लिंग की नसों में रक्त संचरण को बढ़ाता है। लिंग की नसों को फैलाता है, ताकि उसमें अधिक से अधिक रक्त प्रवाह हो सके। और संभोग के समय लिंग में बेहतर तनाव आ सके।
क्या साँड़े का तेल एक प्रकार की छिपकली से प्राप्त होता है? सच या अंधविश्वास?
अब साँड़े के तेल के दूसरे पर्सपेक्टिव की बात करते हैं, जिसमे सांडे के तेल को एक जानवर की चर्बी से मिलने वाले तेल समझा जाता है।
दोस्तों यहां पर मैं उस जानवर का नाम भी नहीं लेना चाहूँगी , क्योंकि अगर मैं यहां पर उस जानवर के बारे में बताऊँगी, तो कहीं ना कहीं मैं खुद को, एक भ्रमित करने वाली जानकारी देने का दोषी समझूँगी।
क्योंकि उस जानवर के बारे में ये भ्रांति फैलाई गई है, कि साँदा तेल उस जानवर की चर्बी से बनाया जाता है। कुछ अंधविश्वासी लोगों का ये मानना है, कि ऐसे तेल को लिंग पर लगाने से लिंग में कठोरता बढ़ती है, और मर्दाना ताकत, जैसे शीघ्रपतन और कामेच्छा की कमी दूर होती है।
ये सब कोरी भ्रांतियां हैं। उस जानवर की चर्बी में ऐसा कुछ खास नहीं होता है, जो लिंग पर लगाने से लिंग को इस तरह का कोई भी लाभ मिल सके।
इस जानवर की चर्बी दूसरे जानवरों की चर्बी की तरह ही होती है, और उसका रासायनिक संघठन दूसरे जानवरों की चर्बी की ही तरह होता है।
अगर आप सांडे का तेल यह सोचकर खरीदना चाहते हैं, कि मुझे असली सांडे का तेल मिल जाए, जिसमें किसी जानवर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया हो, तो आप ऐसा बिल्कुल ना करें, और मैं आपको बता देना चाहती हूं, कि सांडा जो होता है वह एक endangered species है, और इसको किसी भी तरह की हानि पहुंचाना कई देशों में गैर कानूनी हो सकता है।
बेहतर है, कि आयुर्वेदिक विधि से बनाए गए किसी सांडे के तेल का इस्तेमाल करें, या किसी दूसरे अच्छे लिंग वर्धक तेल का इस्तेमाल करें।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में काफी शक्ति होती है, और उन से बनाए गए लिंग वर्धक तेलों के, लिंग पर मालिश करने से नपुंसकता, शीघ्रपतन और कामेच्छा की कमी जैसी समस्याएं दूर होती हैं।