Sunday, October 19, 2025

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Swapandosh kya Hota Hai? Iska kya karan hai aur Iska ilaj

स्वप्नदोष आखिर क्या होता है? What is nocturnal emission or wet dreams

स्वपन दोष जिसे nocturnal emission, night fall या wet dreams के नाम से भी जाना है यह एक स्वाभाविक दैहिक क्रिया है जो कि लड़कों के किशोरावस्था (13-18 years) में कदम रखने के बाद शुरू होती है और उसके बाद जीवन में कभी भी हो सकती है। Nocturnal emission एक ऐसी condition होती है जिसमें व्यक्ति को कामुकता भरे सपने आते है और सोते समय ही अनैच्छिक (involuntary) रूप से कामोन्माद (orgasm) हो जाता है तथा लिंग (Penis) से वीर्य या semen release हो जाता है। (सीमेन या वीर्य एक सफ़ेद गाढ़ा तरल पदार्थ होता है जोकि प्रोस्टेट ग्लैंड में produce होकर यूरेथ्रा (मूत्र नली) के माध्यम से शिश्न तक आता है और यौन प्रदर्शन (sex) के बाद शरीर से निकलता है जिसमे कि शुक्राणु या sperms भी उपस्थित होते हैं)

क्यों होता है, स्वप्नदोष? Swapandosh ka kya karan hota hai?

wet dreams का सबसे बड़ा कारण माना जाता है की किशोरावस्था (adolescence) के दौरान लड़कों में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन का निर्माण बढ़ने लगता है जिसके कारण उनके प्रजनन अंगों में उत्तेजना उत्पन्न होने लगती है, व्यक्ति को कामुक सपने आते है और इस प्रकार के कामुक सपनों (erotic dreams) में व्यक्ति स्वयं को यौन क्रियाओं में संलग्न अनुभव करते हैं तथा इसी की वजह से उनका लिंग स्खलन (ejaculation) हो जाता है। यह उन लड़कों में ज़्यादा होता है जो यौन क्रियाओं में अभी एक्टिव नहीं है किन्तु उनके शरीर में कामेच्छा जागृत होने लगी है समय के साथ जब वह अपनी कामेच्छा के पूर्ति करने लगते हैं तो यह समस्या भी धीरे धीरे कम हो जाती है। पूरी तरह से इसका खत्म होना ज़रूरी नहीं है क्योंकि यह कोई गंभीर समस्या या बीमारी नहीं है।

Causes of nocturnal emission

जैसा कि हम जानते हैं कि यौवनारम्भ के बाद लड़कों में स्वपन दोष होना एक सामान्य प्रकिर्या है जिसका कोई ख़ास कारण नहीं होता है, यह केवल कामेच्छा के उजागर होने के बाद प्रजनन अंगों के उत्तेजित होने के कारण होता है और लिंग स्खलन के बाद व्यक्ति शारीरिक व मानसिक संतुष्टि महसूस करता है। लेकिन यदि हफ्ते में 2 या 4 बार से अधिक व्यक्ति को स्वपन दोष अनुभव होता है तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। इस प्रकार असामान्य रूप से nocturnal emission होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे प्रोस्टेट ग्लैंड (Prostate Gland) में कोई दोष या सूजन होने के कारण, कोई मानसिक विकार होने पर या हॉर्मोन्स के असंतुलन के कारण इत्यादि

स्वप्नदोष से होने वाले नुकसान Problems associated with nocturnal emission

हालाँकि स्वपन दोष कोई गंभीर रोग नहीं है जैसा कि ऊपर बताया गया है किशोरावस्था के दौरान या प्रौढ़ावस्था में कभी न कभी व्यक्ति को nocturnal emission हो ही जाता है लेकिन लगातार ऐसा होने से शरीर में कुछ दुष्प्रभाव या परेशानियां सामने आ सकती है जैसे जोड़ों में दर्द (joint pain), शारीरिक कमज़ोरी (weakness), याददाश्त कमज़ोर होना (weaken memory), जल्दी चीज़ें भूल जाना (forgetfulness)। असामान्य रूप से स्वप्नदोष होने पर शुक्राणुओं की संख्या और गुणवत्ता (sperm count and motility) दोनों में कमी आ जाती है ऐसा बार बार वीर्य के शरीर से निकलने के कारण होता है। अत्यधिक स्वप्नदोष के कारण शरीर में आलस्य (laziness) महसूस होता है व्यक्ति frustration का शिकार हो जाता है क्योंकि उसे महसूस होने लगता है कि अपने शरीर पर वह नियंत्रण खोने लगा है जिससे उसका आत्म विश्वास धीरे धीरे खत्म होने लगता है साथ ही साथ पुरुष के अंडकोष में दर्द होने लगता है और शरीर में खून की कमी (क्योंकि सीमेन रक्त कणिकाओं से ही बनता है ) होने लगती है।

स्वप्नदोष पर कैसे काबू पायें

कभी कभी बहुत ज़्यादा नोक्टर्नल एमिशन होना व्यक्ति में चिंता का विषय बन सकता है कुछ ऐसे आसान तरीके भी होते हैं जिन्हे अपनाकर आप इस समस्या को कम कर सकते है जो कि इस प्रकार से हैं-

  • कभी भी पेट के बल नहीं सोना चाहिए क्योंकि इससे जनन अंगों में उत्तेजना होती है और wet dreams के chances बढ़ सकते है।
  • रोज़ाना व्यायाम, योगा या meditation ज़रूर करें इससे आप शारीरिक व मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ बनते हैं और शरीर में hormones का संतुलन भी बना रहता है जिससे अत्यधिक स्वपन दोष को कम किया जा सकता है।
  • अगर आप sexually active हो तो काम संतुष्टि हो जाने पर भी यह समस्या काफी हद तक कम हो जाती है क्योंकि शरीर में निर्मित वीर्य इसके बाद बाहर निकल जाता है और व्यक्ति relax महसूस करता है।
  • अगर आप अभी यौन क्रियाओं में संलग्न नहीं हुए हो तो हस्तमैथुन (masturbating) के द्वारा वीर्य स्खलन कराने से भी स्वपन दोष की समस्या को कम किया जा सकता है।
  • मानसिक अशांति और चिंता से दूर रहने की कोशिश करनी चाहिए तथा सोने से पहले पूरी तरह रिलैक्स हो जाना चाहिए।
  • शहद, आमला, लहसुन, बादाम इत्यादि food products का प्रयोग करना चाहिए जो कि एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होते हैं और body की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immunity) को मज़बूत बनाकर शरीर की क्रियाओं को सामन्य बनाये रखने में मदद करते हैं ।
  • सोते समय आरामदायक कपड़े पहनने चाहिए तथा किसी भी प्रकार के कामुक विचार मन में लेकर नहीं सोना चाहिए।
  • अश्वगंधा (Withania Somnifera), शिलाजीत (Shilajit or mumijo), शतावरी (Shatavari), सफ़ेद मूसली (Safed Musli), केसर (Saffron), जायफल (Myristica fragrans) इत्यादि प्राकर्तिक जड़ी बूटियों के सेवन से भी इस समस्या को कम किया जा सकता है।

 

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