चरम सुख से बड़ा आनंद मनुष्य को और कोई महसूस ही नहीं हो सकता है
वो सुहाने पल कौन भूल सकता है, जब वीर्य penis से निकलता चला जाता है। और उस वक़्त पुरुष को जिस आनंद की अनुभूति होती है उसका कोई मुकाबला ही नहीं है।
हर कोई यही सोचता होगा, कि काश परमात्मा ने चरमसुख के इन पलों को कुछ और लंबा किया होता, और वीर्य सिर्फ कुछ क्षणों के बजाय और अधिक समय तक लिंग से बहता रहता।
इस लेख में हम बात करेंगे कि वीर्य स्खलन physiologically कैसे संभव होता है। कैसे अपने आप ही शरीर वीर्य को, इतनी तेज़ गति के साथ बाहर फैंकता है, कि वो कई फीट तक जाकर गिर सकता है। और जिसको प्यार की पिचकारी कहा जाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी, कि वीर्य निकलने की रफ्तार, 40 किलोमीटर पर hour से भी ज़्यादा हो सकती है। और एक स्वस्थ पुरुष, औसतन 3 बाल्टी के बराबर वीर्य का उत्पादन अपनी पूरी ज़िंदगी में करता है।
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कैसे अपने आप ही वीर्य पिचकारी के रूप में बाहर निकल जाता है।
ejaculation या वीर्य स्खलन की क्रिया काफी complicated होती है, और अगर मैं ज़्यादा details में चली गई, तो नॉन मेडिकल ऑडियंस के ये सर के ऊपर से उतार जाएगी। तो बेहतर है, कि मैं इसको आम भाषा में ही समझा दूँ। एक लाइन में कहूँ, तो ये ऐसा ही है, जैसे किसी सर्किट को ऑन कर दिया जाता है, तो कोई इंजन चालू हो जाता है।

सेक्शुअल intercourse के क्लाइमैक्स पर, penis के चारों तरफ मौजूद तंत्रिकाएं, ईजैक्यूलैशन के लिए सिग्नलस को स्पाइनल कॉर्ड तक भेजते हैं, और उसके बाद ये सिग्नल, आगे हमारे मस्तिष्क तक भेजे जाते हैं। हमारे मस्तिष्क में उपस्थित कुछ विशिष्ट भाग, इन भेजे गए सिग्नलस को receive करके, उन अंगों को कार्य करने का आदेश भेजती हैं, जो ejaculation में physically इन्वाल्व होते हैं। जैसे पेनिस का erectile tissue, bulbocavernosus muscles, पेनिस के चारों तरफ की मांसपेशियाँ, अंडकोशों के पीछे कि तरफ कि मांसपेशियाँ, प्रास्टैट ग्लैन्ड, urethral muscles, epididymis और vas deferens.

सेक्शुअल intercourse के क्लाइमैक्स पर पेनिस के चारों तरफ मौजूद तंत्रिकाएं, ईजैक्यूलैशन के लिए सिग्नलस को स्पाइनल कॉर्ड तक भेजती हैं, और उसके बाद ये सिग्नल आगे हमारे मस्तिष्क तक भेजे जाते हैं। इन सिग्नलस को शरीर में संचरित करने में कई हॉर्मोन्स, और enzymes involve रहते हैं। हमारे मस्तिष्क में उपस्थित कुछ विशिष्ट भाग, इन भेजे गए सिग्नलस को receive करके, उन अंगों को कार्य करने का आदेश भेजती हैं, जो ejaculation में physically इन्वाल्व होते हैं। जैसे पेनिस का erectile टिशू, पेनिस के चारों तरफ की मांसपेशियाँ, अंडकोशों के पीछे कि तरफ कि मांसपेशियाँ, प्रास्टैट ग्लैन्ड, urethral muscles, epididymis aur vas deferens और seminal वेसिकल
vas deferens वो ट्यूब होती है, जहां पर स्पर्म्स स्खलन से ठीक पहले आकर इकठे रहते हैं। prostate gland का द्रव्य, सेमनल vesicle का द्रव्य, और स्पर्म्स मिलकर निकलने वाले वीर्य का निर्माण करते हैं। जिसमे केवल 10% शुक्राणु होते हैं, ८० प्रतिशत तक seminal fluid होता है और बाकी prostatic फ्लूइड ।

मस्तिष्क से आदेश मिलते ही, urethral ओपनिंग, यानि वो रास्ता बंद हो जाता है, जहां से पेशाब लिंग में आता है। ऐसा इसलिए होता है, ताकि वीर्य urinary ब्लैडर में न जा सके।
जैसे ही पेशाब का रास्ता बंद होता है, उसके तुरंत बाद ही, सारी बताई गई मांसपेशियाँ, तेज़ी से सिकुड़ती हैं, और बार बार सिकुड़कर , वीर्य को पिचकारी की तरह बाहर धकेलती हैं। और इस तरह, ५ से ६ बार वीर्य पिचकारी की शक्ल में बाहर गिरता है। पहली पिचकारी थोड़ी धीमी होती है, और उसके बाद कि दो पिचकारियाँ सबसे ज़्यादा इन्टेन्स होती हैं। धीरे धीरे पिचकारियों का वेग कम होता चला जाता है। पिचकारियाँ पूरी होने के बाद भी इन मासपेशियों में, कई बार हल्के हल्के कन्ट्रैक्शन होते रहते हैं, और जब तक ये contractions होते हैं, तब तक पुरुष को आनंद का अनुभव होता रहता है।
वीर्य निकलने के तुरंत बाद ही, शरीर में टेस्टोस्टेरॉन का लेवल कम हो जाता है, और शरीर को रीलैक्स करने वाले हॉर्मोन्स release होते हैं। तभी तो संभोग के बाद काफी अच्छी नींद आती है।
तो guys। हैं न कुदरत का अनोखा कमाल। कैसे बिना आपके प्रयत्न के ही, वीर्य ऐसे बाहर निकलता है, जैसे एक surgical इन्जेक्शन से पिचकारी छोड़ी जा सकती है।